अध्याय 17 – संस्कृति

 अध्याय 17 – संस्कृति


 


प्रश्न 1.लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?


उत्तर- लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति शब्दों की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई। क्योंकि लोग सभ्यता और संस्कृति शब्दों का प्रयोग तो खूब करते हैं पर वे इनके अर्थ के बारे में भ्रमित रहते हैं। वे इनके अर्थ को जाने-समझे बिना मनमाने ढंग से इनका प्रयोग करते हैं। इन शब्दों के साथ भौतिक और आध्यात्मिक विशेषण लगाकर इन्हें और भी भ्रामक बना देते हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनका अर्थ अपने-अपने विवेक से लगा लेते हैं। इससे स्पष्ट है कि इन शब्दों के सही अर्थ की समझ अब तक नहीं बन पाई है।


प्रश्न 2.आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?


उत्तर- आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज इसलिए मानी जाती है क्योंकि इससे मनुष्य की जीवन शैली और खानपाने में बहुत बदलाव आया। दूसरे मनुष्य के पेट की ज्वाला अधिक सुविधाजनक ढंग से शांत होने लगी। इससे उसका भोजन स्वादिष्ट बन गया तथा उसे सरदी भगाने का साधन मिल गया। इसके अलावा प्रकाश और आग का भय दिखाने से जंगली जानवरों के खतरे में कमी आई। आग ने मनुष्य के सभ्य बनने का मार्ग भी प्रशस्त किया। इसकी खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत पेट की ज्वाला, सरदी से मुक्ति, प्रकाश की चाहत तथा जंगली जानवरों के खतरे में कमी लाने की चाहत रही होगी।


प्रश्न 3.वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकना है?


उत्तर- वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति उसे कहा जा सकता है जो अपना पेट भरा होने तथा तन ढंका होने पर भी निठल्ला नहीं बैठता है। वह अपने विवेक और बुधि से किसी नए तथ्य का दर्शन करता है और समाज को अत्यंत उपयोगी आविष्कार देकर उसकी सभ्यता का मार्ग प्रशस्त करता है। उदाहरणार्थ न्यूटन संस्कृत व्यक्ति था जिसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की। इसी तरह सिद्धार्थ ने मानवता को सुखी देखने के लिए अपनी सुख-सुविधा छोड़कर जंगल की ओर चले गए।


प्रश्न 4.न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?


उत्तर- न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे यह तर्क दिया गया है कि न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत संबंधी नए तथ्य का दर्शन किया और इस सिद्धांत की खोज किया। नई चीज़ की खोज करने के कारण न्यूटन संस्कृत मानव था।


कुछ लोग जो न्यूटन के पीढ़ी के हैं वे न्यूटन के सिद्धांत को जानने के अलावा अन्य बहुत-सी उन बातों का ज्ञान रखते हैं जिनसे न्यूटन सर्वथा अनभिज्ञ था, परंतु उन्हें संस्कृत मानव इसलिए नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने न्यूटन की भाँति किसी नए तथ्य का आविष्कार नहीं किया। ऐसे लोगों को संस्कृत मानव नहीं बल्कि सभ्य मानव कहा जा सकता है।


प्रश्न 5.किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?


उत्तर- सुई-धागे का आविष्कार जिन दो महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया गया वे हैं


· अपने शरीर को शीत और उष्ण मौसम से सुरक्षित रखने के लिए कपड़े सिलने हेतु।


· मनुष्य द्वारा सुंदर दिखने की चाह में अपने शरीर को सजाने के लिए क्योंकि इससे पूर्व वह छाल एवं पेड़ के पत्तों से यह कार्य किया करता था।


प्रश्न 6.“मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब

(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।

(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।


उत्तर- (क) समय-समय ऐसी कुचेष्टाएँ की गईं जब मानव-संस्कृति को धर्म और संप्रदाय में बाँटने का प्रयास किया गया। कुछ असामाजिक तत्व तथा धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिकता का जहर फैलाने का प्रयासकर मानव संस्कृति को बाँटने की कुचेष्टा की। इन लोगों ने अपने भाषणों द्वारा दोनों वर्गों को भड़काने का प्रयास किया। इनके त्योहारों पर भी एक-दूसरे को उकसाकर धार्मिक भावनाएँ भड़काने का प्रयास किया। वे मस्जिद के सामने बाजा बजाने और ताजिए के निकलते समय पीपल की डाल कटने पर संस्कृति खतरे में पड़ने की बात कहकर मानव संस्कृति विभाजित करने का प्रयास करते रहे।


(ख) मानव-संस्कृति के मूल में कल्याण की भावना निहित है। इस संस्कृति में अकल्याणकारी तत्वों के लिए स्थान नहीं है। समय-समय पर लोगों ने अपने कार्यों से इसका प्रमाण भी दिया; जैसे


1. भूखे व्यक्ति को लोग अपने हिस्से को भोजन खिला देते हैं।


2. बीमार बच्चे को अपनी गोद में लिए माँ सारी रात गुजार देती है।


3. कार्ल मार्क्स ने आजीवन मजदूरों के हित के लिए संघर्ष किया।


4. लेनिन ने अपनी डेस्क की ब्रेड भूखों को खिला दिया।


5. सिद्धार्थ मानव को सुखी देखने के लिए राजा के सारे सुख छोड़कर ज्ञान प्राप्ति हेतु जंगल की ओर चले गए।


प्रश्न 7.आशय स्पष्ट कीजिए

(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्मविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?


उत्तर- संस्कृति का कल्याण की भावना से गहरा नाता है। इसे कल्याण से अलग कर नहीं देखा जा सकता है। यह भावना मनुष्य को मानवता हेतु उपयोगी तथ्यों का आविष्कार करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में कोई व्यक्ति जब आत्मविनाश के साधनों की खोज करता है और उससे आत्मविनाश करता है तब यह असंस्कृति बन जाती है। ऐसी संस्कृति में जब कल्याण की भावना नहीं होती है तब वह असंस्कृति का रूप ले लेती है।


रचना और अभिव्यक्ति


प्रश्न 8.लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में। क्या सोचते हैं, लिखिए।


उत्तर- लेखक द्वारा अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की निम्नलिखित परिभाषा दी गई है।


संस्कृति – संस्कृत मानव द्वारा किया गया ऐसा कोई आविष्कार या नए तथ्य का ज्ञान, जो मनुष्य के लिए कल्याणकारी होता है, उसे संस्कृति कहते हैं। संस्कृति त्याग की भावना से मजबूत एवं समृद्ध होती है। संस्कृति का संबंध मनुष्य के भीतर (मन) से है।


सभ्यता – संस्कृति का परिणाम सभ्यता कहलाता है। हमारे खान-पान का ढंग, जीने-मरने का तरीका, लड़ने-झगड़ने का ढंग, पहनने-ओढ़ने की कला आवागमन के साधन और ढंग सब हमारी सभ्यता है। यह मनुष्य की बाहरी वस्तु है।

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